सच

दुनिया की सबसे मुश्किल चीज़ है सच कहना, वो भी तब, जब ये सच किसी अपने से कहना हो।इन गुज़रे कुछ सालों में मैंने ये जाना है कि सच कहना सबसे आसान बात है और सच कहूँ तो ये शब्द बड़ा मश्कूक है, uncertain you know ॰

सच की भी अलग अलग अलमारियाँ होती हैं,बस निर्भर करता है किस वक़्त कौन सी अलमारी खोलनी है ।हाँ ! पर सच से पहले की चीज़ ज़रूर मुश्किल होती है- साहस, courage और सच मानिए तो इसकी तैयारी ही असल तैयारी है।लोग अक्सर कहते हैं कि झूठ  बोलने का साहस मुझमें नहीं है,इसका मतलब असल मुद्दा जसारत का है। जब कोई इंसान आपसे कहेक्या तुम सच कह रही हो?” तो वो आपके सच को नहीं,अपने साहस को भी परख रहा है कि क्या उसमें सच सुनने का साहस है ॰॰॰

सच बोलना रोज़ की कोशिश है ठीक उसी तरह जिस तरह दफ़्तर जाने के लिए रोज़ तैयार होना, Sunday के दिन भी वक़्त पर नहाना। और फिर ये ही कोशिश धीरे धीरे साहस में और साहस शांति में बदल जाता है, जैसे सर्दी की शाम को एक cup चाय ।तो क्या ॰॰॰ बाक़ी सब दुनियावी मुद्दे से पहले ये शांति ज़रूरी नहीं

इन कुछ सालों में मैंने जाना है कि इस शांति को हासिल करने के लिए अकेले ॰॰ख़ुद ॰॰अपने साथ रहना बहुत ज़रूरी है क्योंकि अक्सर ही हम ख़ुद को बहला फुसला कर अपने मन को तसल्ली देने के लिए सच की एक script  तैयार करते रहते हैं।यूँ हुआ, तो यूँ कर दिया वैसा हुआ तो वैसा कर दियाभई और ऐसे में मैं और करती भी क्या?’ 

बस॰॰॰ बस॰॰ इसी script को बदलकर अकेले में आपका मन सीधी क्या बात आपसे कहता हैवो सच है  और उस सच को बिना किसी रोक-टोक ख़ालिस सुनना ॰॰वो ही साहस की निशानी है। 

सच चाहे कितना भी वीभत्स हो, बुरा हो, दु:खद हो एक लेकिन एक बार बिना script के सिर्फ़ ख़ुद से सच कहना है और इसको हासिल करने का सबसे मुफ़ीद तरीक़ा है ख़ामोशी। मैं उस सच की बात नहीं कर रही जहाँ बोले गए 100 झूठ एक सच से बड़े होते हैं। मैं उस सच की बात कर रही हूँ ,जो आपकी शांति बचाने के लिए होते हैं और अपने अंदर साहस का आईना दिखाने के लिए होते हैं। अगर आप ऐसा सच अपने अंदर नहीं सुन सकते,तो आप शांति पा सकते हैं, ख़ामोशी और साहस।

परवीन शाक़िर  का एक बड़ा उम्दा शेर याद आया ॰॰


मैं सच कहूँगी फिर भी हार जाऊँगी, वो झूठ बोलेगा और लाजवाब कर देगा।।

समझ रहे हैं आप ॰॰॰

आपकी नयनी 


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