सच
दुनिया की सबसे मुश्किल चीज़ है सच कहना , वो भी तब , जब ये सच किसी अपने से कहना हो।इन गुज़रे कुछ सालों में मैंने ये जाना है कि सच कहना सबसे आसान बात है और सच कहूँ तो ये शब्द बड़ा मश्कूक है , uncertain you know ॰ सच की भी अलग अलग अलमारियाँ होती हैं , बस निर्भर करता है किस वक़्त कौन सी अलमारी खोलनी है ।हाँ ! पर सच से पहले की चीज़ ज़रूर मुश्किल होती है - साहस , courage और सच मानिए तो इसकी तैयारी ही असल तैयारी है।लोग अक्सर कहते हैं कि झूठ बोलने का साहस मुझमें नहीं है , इसका मतलब असल मुद्दा जसारत का है। जब कोई इंसान आपसे कहे “ क्या तुम सच कह रही हो ?” तो वो आपके सच को नहीं , अपने साहस को भी परख रहा है कि क्या उसमें सच सुनने का साहस है ॰॰॰ ? सच बोलना रोज़ की कोशिश है ठीक उसी तरह जिस तरह दफ़्तर जाने के लिए रोज़ तैयार होना , Sunday के दिन भी वक़्त पर नहाना। और फिर ये ही कोशिश धीरे धीरे साहस में और साहस शांति में बदल जाता है , जैसे