Women’s day tamasha
नमस्कार , इस Womens' डे पर एक और विचार मन में आया और मैं जानती हूँ बहुत महिलाएँ मुझसे इसके बाद नापसंदगी भी रख सकती हैंलेकिन Womens day जिस समय और परिस्थति की बात है तबके दौर में महिलाओं ने अपने मौलिक अधिकारों का मोर्चा लिया था लेकिन आज ये मोर्चा एक नए आयाम पर पहुँच चुका है तो आज महिलायें क्या वाक़ई में उन महिलाओं का सम्मान कर रहीं हैं जिनके मोर्चे की वजह से वो आज यहाँ हैं ? शायद हाँ , शायद नहीं . हर सिक्के के दो पहलू होते हैं जिन देशों में , जिन समाजों में , आज भी विमेंस ' डे या ऐसे empowerment की ज़रूरत हैं , हाँ वहाँ आज भी महिलाएँ स्कूल जा कर , बाल काट कर , पर्दा हटाकर , घर से बाहर बिना पुरुष के निकल कर , लगातार क्रांति का कर रहीं हैं और कहना न होगा कि उसका हर्जाना भी उतनी ही नृशंसता से सीने पे गोली खा कर भुगत रहीं हैं . लेकिन हम ? हमारा क्या ? हम सब महिलाओं का क्या , जिनके हाथ में सुविधा , पैसा